मकतपुर स्थित श्री ज्ञान निवास में शुभ कार्तिक मास के पावन अवसर पर देवोत्थानी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक श्रीमद्भगवद्गीता सत्संग गंगा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्री कबीर ज्ञान मंदिर गिरिडीह के परम विदुषी संत "वंदनीया सद्गुरु मां ज्ञान" के द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता का सुमधुर पाठ एवं श्री कृष्ण की महता का गान कर भगवान के श्री मुख से निश्रृत जनकल्याणार्थ उपदेशों को जनता जनार्दन के पास पहुंचाने के लिए सत्संग का प्रवाह चलता रहा। सैकड़ों की संख्या में विशाल जनसमुदाय ने सत्संग का लाभ उठाया।
मां ज्ञान ने अपने सत्संग में कहा गीता सर्वग्राह्य है। यह किसी धर्म,पंथ, मत मजहब को मानने वालों का ग्रंथ मात्र नहीं है। अपितु गीता मानव मात्र का ग्रंथ है। यही सनातन धर्म की विशेषता है। जिसमें सभी धर्मावलंबी समादर पाते हैं। मां ज्ञान अपने उपदेशों में यह भी कहा कि संसार में जितने भी धर्म समुदाय हैं, जितने भी धर्म ग्रंथ हैं,उनमें जो भी सार बातें हैं, वे सब गीता से ही लिया गया हैं। यदि मानव मानव गीता की शरण में आयेंगे, तो संसार से द्वेष,अशांति, अराजकता, नफरत , हिंसा से ऊपर उठकर आपस में प्रेम का विस्तार कर पायेगा। श्रीमद्भगवद्गीता अनमोल है। उन्होंने जन समुदाय को गीता ग्रंथ को अपनाने की अपील की तथा "गीता ग्रन्थ की डुबकी लगाकर जन जन तक गीता के संदेश को पहुंचाने की में अपने को सहभागी बनाएं" ऐसा संदेश दिया।
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